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प्राथमिक शिक्षा सुदृढ़ करने की दिशा में बड़ा कदम

75 जिलों के 150 नोडल विशेषज्ञ प्रशिक्षित हुए

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*लखनऊ, 26 नवंबर।* *बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के निर्देशन और नेतृत्व* में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने 24 से 26 नवम्बर तक लखनऊ स्थित गंगा सभागार में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की, जिसमें प्रदेश के 75 जिलों के 150 नोडल एसआरजी, जिला समन्वयक प्रशिक्षण या डायट मेंटर्स को स्कूल रेडीनेस के प्रभावी संचालन के लिए प्रशिक्षित किया गया। बुधवार को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ।
कार्यशाला का उद्देश्य को-लोकेटेड आंगनवाड़ी केंद्रों और बालवाटिकाओं में नामांकित बच्चों के लिए स्कूल रेडीनेस के अंतर्गत कक्षा-1 में नवप्रवेशित बच्चों को पूर्व प्राथमिक से सम्बन्धित प्री- कान्सेप्ट से अवगत कराते हुए औपचारिक शिक्षा के लिए तैयार करना था। इस दौरान प्रतिभागियों को पूर्व-प्राथमिक स्तर से सम्बद्ध भाषा विकास, प्रारंभिक अंकीय दक्षताओं तथा पर्यावरणीय प्री-कॉन्सेप्ट संबंधी कौशलों की विस्तृत जानकारी दी गई, ताकि वे नवप्रवेशित बच्चों को औपचारिक शिक्षा के लिए प्रभावी रूप से तैयार कर सकें।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम बैचवार संचालित हुआ। पहले बैच में 24 नवम्बर को 25 जिलों के नोडल एसआरजी, जिला समन्वयक प्रशिक्षण/डायट मेंटर्स सम्मिलित हुए। इसके बाद 25 और 26 नवम्बर को क्रमशः 25-25 जिलों के प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। SCERT के विषय विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण मॉड्यूल, गतिविधि-आधारित शिक्षण, प्री-कॉन्सेप्ट निर्माण, आकलन पद्धति और स्कूल रेडीनेस के ऑन-फील्ड क्रियान्वयन मॉडल पर व्यापक सत्र आयोजित किए।
प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद अब ये नोडल एसआरजी, जिला समन्वयक प्रशिक्षण और डायट मेंटर्स अपने-अपने जनपदों में नोडल अध्यापकों, ईसीसीई एजुकेटर्स, शिक्षामित्रों, प्रधानाध्यापकों/प्रभारी अध्यापकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों को प्रशिक्षित करेंगे। इससे प्रदेश भर में स्कूल रेडीनेस के एकरूप, प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन को नई गति और मजबूती प्राप्त होगी।
*कोट*

स्कूल रेडीनेस के माध्यम से हमारा उद्देश्य कक्षा एक में आने वाले प्रत्येक बच्चे को सीखने की समान और मजबूत आधारशिला प्रदान करना है। इस प्रशिक्षण के मध्यम से नोडल एसआरजी और जिला समन्वयक प्रशिक्षण/डायट मेंटर्स न केवल स्वयं दक्ष हुए हैं, बल्कि अब वे पूरे प्रदेश में गतिविधि-आधारित, प्री-स्किल केंद्रित और बाल-केंद्रित शिक्षण मॉडल को सुदृढ़ रूप से लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। यह प्रयास प्रारंभिक कक्षाओं में सीखने के परिणामों को नई दिशा और गति देगा।

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