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2017 से अब तक यूपी में नहीं हुआ एक भी सांप्रदायिक दंगा

दलितों के खिलाफ अपराध राष्ट्रीय औसत से कम

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लखनऊ, 6 अक्टूबर। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2023 की रिपोर्ट जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश के दो पूर्व पुलिस महानिदेशकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कानून-व्यवस्था नीति और अपराध नियंत्रण प्रणाली की सराहना की है। पूर्व डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान  और विक्रम सिंह ने माना कि ‘योगी मॉडल’ ने अपराध और अपराधियों के खिलाफ जो जीरो टॉलरेंस का ढांचा खड़ा किया है, वह देश में नजीर बन गया है।
*योगी मॉडल बना सिस्टम आधारित पुलिसिंग का बेहतरीन उदाहरण : पूर्व डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान*
पूर्व डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान ने एनसीआरबी रिपोर्ट के आंकड़ों को सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति और पुलिस की प्रतिबद्धता का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि 2017 से अब तक यूपी में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ। दलितों के खिलाफ अपराध राष्ट्रीय औसत से कम हैं। उन्होंने कहा कि यूपी में अपराध नियंत्रण को एक सिस्टम के रूप में विकसित किया गया है जिसे आज ‘योगी मॉडल’ कहा जाता है। इसमें एफआईआर से लेकर कन्विक्शन तक एक फाइव-टियर सुपरविजन सिस्टम बनाया गया है। मुख्यमंत्री (जो गृह मंत्री भी हैं) स्वयं इसकी मॉनीटरिंग करते हैं, फिर गृह विभाग, डीजीपी, एडीजी जोन, आईजी रेंज और एसपी स्तर तक निगरानी होती है।

महिला, बच्चे और बुजुर्ग ‘योगी मॉडल’ की प्राथमिकता में*
उन्होंने बताया कि महिला, बच्चे और बुजुर्ग इस मॉडल की प्राथमिकता में हैं। प्रॉसिक्यूशन विभाग सख्ती से काम करता है और कई मामलों में 15 दिन के भीतर सजा तक दिलाई गई है। इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी बड़ा सुधार हुआ है, नए थाने, चौकियां, पुलिस लाइन्स, फॉरेंसिक लैब्स और एविडेंस कलेक्शन वैन से जांच प्रक्रिया तेज हुई है। अब यूपी में अपराध को केवल अपराध के रूप में नहीं बल्कि लॉ एंड ऑर्डर के हिस्से के रूप में देखा जाता है। जब व्यवस्था सख्त होती है तो अपराध अपने आप कम हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मिशन शक्ति और एंटी रोमियो स्क्वॉड जैसे अभियानों ने महिलाओं में आत्मविश्वास जगाया है। आज महिलाएं रात में निडर होकर काम कर रही हैं, सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भाग ले रही हैं। यह ‘योगी मॉडल’ की सफलता है। उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकारियों को अब स्थायित्व (स्टेबल टेन्योर) दिया गया है, जिससे जवाबदेही और प्रदर्शन दोनों में सुधार आया है।पहले एसपी का टेन्योर चार-छह महीने का होता था, अब दो से ढाई साल का है। जब स्थायित्व होता है तभी परफॉर्मेंस और जिम्मेदारी दोनों तय होती हैं।
*‘मिट्टी में मिला दूंगा’ वाले एप्रोच ने अपराधियों की कमर तोड़ी : पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह*
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट यूपी की अपराध नियंत्रण यात्रा का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि कभी ‘क्राइम कैपिटल’ कहे जाने वाले यूपी ने अपराध में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की है। हत्या के मामले में राष्ट्रीय औसत 2.1 प्रति लाख है जबकि यूपी में यह 1.4 प्रति लाख है। अपहरण-फिरौती लगभग शून्य है। पहले जहां एक जिले में 73 डकैतियां होती थीं, आज पूरे प्रदेश में सालभर में 73 होती हैं। उन्होंने कहा कि तुलना ‘प्रति लाख जनसंख्या’ के आधार पर होनी चाहिए, न कि अपराध के आंकड़ों से। यह बदलाव किसी क्रांति से कम नहीं है। इसका कारण योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति और सफल अभियोजन है।

*मिट्टी में मिला दूंगा’ ने तय कर दी है यूपी पुलिस की दिशा और टोन*
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री ने कहा था ‘मिट्टी में मिला दूंगा’, तब यूपी पुलिस की दिशा और टोन तय हो गई। अपराधी अब जानते हैं कि कानून से ऊपर कोई नहीं। उन्होंने कहा कि अब पुलिस ‘ईको सिस्टम’ में काम करती है, जहां शीर्ष नेतृत्व खुद अपराधियों से लाभ नहीं उठाता। अब अपराधियों की कोई सुनने वाला नहीं है। यूपी पुलिस को जो स्वायत्ता आज मिली है, वह पहले कभी नहीं मिली थी। उन्होंने 112 रिस्पॉन्स टाइम, न्यूनतम बल के प्रयोग और जनता में बढ़ते विश्वास को सबसे बड़ा संकेतक बताया। विक्रम सिंह ने कहा कि अगर महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं, तो यही सबसे बड़ी कसौटी है कि पुलिस सफल हुई है। पूर्व डीजीपी ने कहा कि आज फोर्स वही है, अधिकारी वही हैं, बदला है तो सिर्फ ईको सिस्टम और जीरो टॉलरेंस की नीति। योगी सरकार ने वही बदला जो सबसे जरूरी था।

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